कालसर्प दोष के प्रकार

जानिए कालसर्प दोष के प्रकार व निवारण उपाय

भारतीय ज्योतिष के अनुसार, जिस किसी मनुष्य की जन्म कुंडली में राहु और केतु के बीच समस्त ग्रह स्थित होते हैं,उस स्थिति मे कुंडली मे कालसर्प दोष बनाता है। पौराणिक कथा के अनुसार, जिस व्यक्ति की कुंडली में कालसर्प योग होता है, उसे जीवन में कई तरह की कठिनाइयों का सामना करना पड़ता है।

इस लेख के माध्यम से हम आपको बताने वाले है की कुंडली मे कालसर्प योग कैसे बनता है, कालसर्प दोष के प्रकार और इस दोष से क्या क्या नुकसान होते है समस्त जानकरी प्राप्त करने के लिए यह लेख पूरा ध्यानपूर्वक पड़े और यदि आप भी कालसर्प दोष से परेशान है तो तुरंत ही निवारण कराये।

कालसर्प दोष क्या है?

ज्योतिषी के अनुसार किसी व्यक्ति के सारे ग्रह राहू और केतू के बीचों बीच उपस्थित होते है तो उस स्थिति को कालसर्प दोष माना जाता है, कालसर्प दोष के जातक को सदैव ही अपने जीवन मे कठनाई और परेशानियों का सामना करना पड़ता है जिसके चलते हुए वह अपने दैनिक जीवन मे तनाव की स्थिति मे बने रहते है और उनको अपने आस पास कुछ समझ नहीं आता है।

कालसर्प दोष के जातको को निम्न कुछ ईस प्रकार की पार्शनियों से सामना करना पड़ता है जैसे की नौकरी न लगना, व्यापार मे हानी होना, विवाह के मुहूर्त न बनना, यदि विवाह हो गया हो तो वैवाहिक जीवन मे समस्या आना, संतान सुख की प्राप्ति न होना और साथ ही साथ घर परिवार वालो से लड़ाई झगड़े होना और कई सारी अन्य प्रकार की परेशानियों का सामना करना पड़ सकता है।

कालसर्प दोष के कई अलग प्रकार है जो की अलग तरह से मानुषय के जीवन पर प्रभाव डालते है।


कालसर्प दोष कितने प्रकार के होते हैं?

मुख्य रूप से कालसर्प दोष के बारह प्रकार होते है जो अलग-अलग घरों में स्थित होते हैं। भारतीय ज्योतिष में कालसर्प योग के 144 विभिन्न रूप हैं, हालाँकि उनमें से केवल 12 को ही अत्यधिक मान्यता प्राप्त है।

शास्त्रों में कहा गया है कि राहु और केतु 180 डिग्री के कोण पर होते हैं और जब सभी सात ग्रह उनके बीच से गुजरते हैं तो कालसर्प योग बनता है। आइए जानते हैं किस घर में है इन 12 में से कौन सा कालसर्प दोष।

कालसर्प दोष के प्रकार

कुंडली मे कुछ इस प्रकार परिलक्षित होते कालसर्प दोष के 12 मुख्य प्रकार-

  1. अनंत कालसर्प दोष

    राहु लग्न में हो और केतु सप्तम भाव में स्थित हो तथा सभी अन्य ग्रह सप्तम से द्वादश, एकादशी, दशम, नवम, अष्टम और सप्तम में स्थित हो तो यह अनंत कालसर्प योग कहलाता है।

2. कुलिक कालसर्प दोष

राहु द्वितीय भाव में तथा केतु अष्टम भाव में हो और सभी ग्रह इन दोनों ग्रहों के बीच में हो तो कुलिक नाम कालसर्प योग होगा।  

3. वासुकी कालसर्प दोष

राहु तृतीय भाव में स्थित है तथा केतु नवम भाव में स्थित होकर जिस योग का निर्माण करते हैं तो वह दोष वासुकी कालसर्प दोष कहलाता है।

4. शंखपाल कालसर्प दोष

राहु चतुर्थ भाव में तथा केतु दशम भाव में स्थित होकर अन्‍य ग्रहों के साथ जो निर्माण करते हैं तो वह कालसर्प दोष शंखपाल के नाम से जाना जाता है।  

5. पद्य कालसर्प दोष
चतुर्थ स्‍थान पर दिए दोष के ऊपर का है पद्य कालसर्प दोष इसमें राहु पंचम भाव में तथा केतु एकादश भाव में साथ में एकादशी पंचांग 8 भाव में स्थित हो तथा इस बीच सारे ग्रह हों तो पद्म कालसर्प योग बनता है।

6. महापद्म कालसर्प दोष

राहु छठे भाव में और केतु बारहवे भाव में और इसके बीच सारे ग्रह अवस्थित हों तो महापद्म कालसर्प योग बनता है। 

7. तक्षक कालसर्प दोष 

जन्मपत्रिका के अनुसार राहु सप्तम भाव में तथा केतु लग्न में स्थित हो तो ऐसा कालसर्प दोष तक्षक कालसर्प दोष के नाम से जाना जाता है।  

8. कर्कोटक कालसर्प दोष 

केतु दूसरे स्थान में और राहु अष्टम स्थान में कर्कोटक नाम कालसर्प योग बनता है।

9. शंखचूड़ कालसर्प दोष

सर्प दोष जन्मपत्रिका में केतु तीसरे स्थान में व राहु नवम स्थान में हो तो शंखचूड़ नामक कालसर्प योग बनता है।

10. घातक कालसर्प दोष

कुंडली में दशम भाव में स्थित राहु और चतुर्थ भाव में स्थित केतु जब कालसर्प योग का र्निमाण करता है तो ऐसा कालसर्प दोष घातक कालसर्प दोष कहलाता है।  

11. विषधर कालसर्प दोष

केतु पंचम और राहु ग्यारहवे भाव में हो तो विषधर कालसर्प योग बनाते हैं। 

12. शेषनाग कालसर्प दोष

कुंडली में राहु द्वादश स्थान में तथा केतु छठे स्थान में हो तथा शेष 7 ग्रह नक्षत्र चतुर्थ तृतीय और प्रथम स्थान में हो तो शेषनाग कालसर्प दोष का निर्माण होता  है। 

कालसर्प दोष के लक्षण

कालसर्प दोष कुंडली मे होने पर यह होते मुख्य लक्षण-

  • विद्या अध्ययन में रुकावट होना या पढ़ाई बीच में ही छूट जाना।
  • पढ़ाई में मन नहीं लगना या फिर ऐसी कोई आर्थिक अथवा शारीरिक बाधा जिससे अध्ययन में व्यवधान उत्पन्न हो जाए।
  • विवाह में विलंब भी कालसर्प दोष का ही एक लक्षण है।
  • इस दोष के चलते वैवाहिक जीवन के पहले और विवाह के बाद तलाक की स्थिति भी पैदा हो जाती है।
  • संतान का न होना और यदि संतान हो भी जाए तो उसकी प्रगति में बाधा उत्पन्न होती है।
  • परिजन तथा सहयोगी से धोखा खाना, खासकर ऐसे व्यक्ति जिनका आपने कभी भला किया हो।
  • घर में कोई सदस्य यदि लंबे समय से बीमार हो और वह स्वस्थ नहीं हो पा रहा हो साथ ही बीमारी का कारण पता नहीं चल रहा है।
  • आए दिन घटना-दुर्घटनाएं होते रहना।
  • रोजगार में दिक्कत या फिर रोजगार हो तो बरकत न होना।
  • इस दोष के चलते घर की महिलाओं को कुछ न कुछ समस्याएं उत्पन्न होती रहती हैं।
  • रोज घर में कलह का होना. पारिवारिक एकता खत्म हो जाना।
  • घर-परिवार में मांगलिक कार्यों के दौरान बाधा उत्पन्न होना।
  • यदि परिवार में किसी का गर्भपात या अकाल मृत्यु हुई है तो यह भी कालसर्प दोष का लक्षण है।
  • घर के किसी सदस्य पर प्रेतबाधा का प्रकोप रहना या पूरे दिन दिमाग में चिड़चिड़ापन रहना।
  • अत्यधिक परिश्रम के बाद भी कार्यों में मन मुताबिक सफलता न पाना।

कालसर्प दोष निवारण उपाय

  1. भगवान शिवजी की नियमित पूजा करनी चाहिए.
  2. किसी पवित्र नदी में चांदी या तांबे से बना नाग-नागिन का जोड़ा प्रवाहित करें.
  3. हर शनिवार पीपल को जल चढ़ाएं और पीपल की सात परिक्रमा करें.
  4. समय-समय पर गरीबों को काले कंबल का दान करें.
  5. घर या मंदिर में जाकर रोजाना शिवलिंग पर अभिषेक करना चाहिए.
  6. प्रदोष तिथि के दिन शिव मंदिर में रुद्राभिषेक करना भी लाभकारी रहता है.
  7. रोजाना कुलदेवता की रोजाना प्रतिदिन आराधना करनी चाहिए.
  8. प्रतिदिन महामृत्युंजय मंत्र का कम से कम 108 बार जप करना चाहिए.
  9. श्रावण के महीने में प्रतिदिन शिवलिंग पर जल एवं दूध का अभिषेक करना चाहिए.
  10. श्रावण के सोमवार को विशेष रूप से भगवान शिव की आराधना करें.
  11. हनुमान चालीसा के पाठ को भी इस दोष से मुक्ति के लिए बहुत ही कारगर माना जाता है.

इन सभी उपायो का अपनाकर आप कालसर्प दोष के दुष्प्रभाव को कम कर सकते है, और यदि आप कालसर्प दोष के चलते हूए काफी परेशान हो चुके है तो कालसर्प दोष को हमेशा के लिए खत्म करने का एकमात्र उपाय है कालसर्प दोष निवारण पूजा

कालसर्प दोष निवारण पूजा

कालसर्प दोष निवारण पूजा ही एकमात्र उपाय है जिससे के आप कालसर्प दोष को अपनी कुंडली से हमेशा के हटा सकते है और अपने तकलीफ और तनाव वाले जीवन मे फिर सुख व समृद्धि बापस ला सकते है यह पूजा भगवान शिव जी को प्रस्स्न करने के लिए की जाती है क्योकी सर्प का स्थान उनही के गले मे है।

कालसर्प दोष पूजा के लिए सबसे उचित स्थान है उज्जैन क्योकि उज्जैन मे भगवान शिव जी महाकाल के रूप मे उपास्थित है और महाकाल का काम है सभी के काल को नष्ट करना यदी आप उज्जैन मे किसी भी दोष की पूजा सम्पन्न कराते है तो आपको १००% प्रतिशत अच्छे परिणाम मिलने के योग बनते है।

उज्जैन मे कैसे कराये कालसर्प दोष पूजा

अगर आप भी कालसर्प दोष से परेशान है और तमाम कोशिशों के बाद भी इससे पीछा नहीं छुड़ा पा रहे है तो आप को तुरंत ही कालसर्प दोष निवारण पूजा सम्पन्न करानी चाहिए। कालसर्प दोष निवारण पूजा ही एकमात्र ऐसा उपाय है जिसकी मदद से आप कालसर्प दोष से हमेशा के लिए छुटकारा पा सकते है।

अगर आप उज्जैन मे कालसर्प दोष पूजा सम्पन्न कराना चाहते है तो आप उज्जैन के प्रसिद्ध ज्योतिष पंडित कपिल शर्मा जी से संपर्क कर सकते है।

पंडित जी के पास कालसर्प दोष पूजा उज्जैन के लिए लोग आते है, और अपनी समस्याओ और बाधाओ से छुटकारा पाते है। अगर आप भी अपनी किसी समस्या के समाधान के लिए पूजा करवाना चाहते है, तो नीचे दी गई बटन पर क्लिक करके पंडित जी से बात कर सकते है।

Call Pandit Ji

कालसर्प दोष कितने प्रकार के होते हैं?

मुख्य रूप से कालसर्प दोष के बारह प्रकार होते है जो अलग-अलग घरों में स्थित होते हैं। भारतीय ज्योतिष में कालसर्प योग के 144 विभिन्न रूप हैं, हालाँकि उनमें से केवल 12 को ही अत्यधिक मान्यता प्राप्त है।

कालसर्प दोष क्या है?

ज्योतिषी के अनुसार किसी व्यक्ति के सारे ग्रह राहू और केतू के बीचों बीच उपस्थित होते है तो उस स्थिति को कालसर्प दोष माना जाता है, कालसर्प दोष के जातक को सदैव ही अपने जीवन मे कठनाई और परेशानियों का सामना करना पड़ता है

कालसर्प दोष की पहचान कैसे करें?

विद्या अध्ययन में रुकावट होना या पढ़ाई बीच में ही छूट जाना, पढ़ाई में मन नहीं लगना या फिर ऐसी कोई आर्थिक अथवा शारीरिक बाधा जिससे अध्ययन में व्यवधान उत्पन्न हो जाए, विवाह में विलंब भी कालसर्प दोष के लक्षण है।

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