मंगल या मांगलिक दोष किसी मनुष्य की कुंडली मे परिलक्षित होता है, तो उनको अपने जीवन मे कई सारी परेशानियों का सामना करना पड सकता है। मंगल दोष के कारण जातक के विवाह मे विलंब होता है। इस लेख मे हम आपको मंगल दोष क्या है व मंगल दोष के लक्षण व निवारण के उपाय बताएँगे।
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मंगल दोष क्या है?
मंगल गृह को ज्योतिष शास्त्र मे काफी ज्यादा महत्व दिया जाता है, मंगल गृह मनुष्य की जन्म कुंडली मे उपस्थित 9 ग्रहो मे एक होता है और माना जाता है की मंगल गृह को सबसे उच्च स्तर का दर्जा दिया है। यह भी अन्य ग्रहो की तरह 12 भावो मे से किसी एक भाव मे स्थित होता है। बारह भावों में से कुछ भाव ऐसे हैं जहां मंगल की स्थिति को मंगल दोष के रूप में लिया जाता है, उसे ही मंगल दोष कहते है।
मंगल दोष ज्योतिष में एक महत्वपूर्ण ज्योतिषीय स्थिति है। यदि किसी की जन्म कुंडली में मंगल 1, 4, 7, 8 और 12वे घर पर होता है, तो व्यक्ति को मंगल दोष से युक्त माना जाता है, और इन्हें ही “मांगलिक” कहा जाता है।
मंगल दोष कितने प्रकार के होते है?
मंगल दोष के मुख्यतः 3 प्रकार के होते है।
1. सामान्य मांगलिक कुंडली :
जब किसी जातक की जन्मकुंडली में मंगल ग्रह 1, 4, 7, 8 और 12वें भाव में किसी भाव में होता है। ऐसी कुंडली सामान्य मांगलिक कहलाती है।
2. द्विबल मांगलिक कुंडली :
किसी व्यक्ति की जन्मकुंडली में मंगल 1, 4, 7, 8, 12वें भाव में होने के साथ नीच कर्क राशि का हो। तब मंगल का दुष्प्रभाव बढ़ जाता है। वहीं 1, 4, 7, 8, 12वें भावनों में मंगल के अलावा सूर्य, शनि, राहु या केतु में से कोई ग्रह हो, तब कुंडली द्विबल मांगलिक कहलाती है।
3. त्रिबल मांगलिक कुंडली
जब किसी जातक की जन्मकुंडली में मंगल 1, 4, 7, 8 12वें भाव में होने के साथ नीच राशि कर्क का हो। इस भावों में शनि, राहु, केतु भी हों। तब मंगल ग्रह का तीन गुना दुष्प्रभाव हो जाता है। ऐसी कुंडली को त्रिबल मांगलिक होती है।
मंगल दोष के लक्षण
मंगल दोष के प्रमुख लक्षण कुछ इस प्रकार है
- संपत्ति को लेकर विवाद उत्पन्न होना।
- व्यक्ति को रक्त से जुड़ी बीमारियां होना।
- किसी मुक़दमे में फंसना।
- आत्मविश्वास और साहस का अत्यधिक कमजोर पड़ना।
- व्यक्ति का स्वभाव हिंसक हो जाता है।
- कर्जे की स्थिति आ जाना।
- वैवाहिक जीवन में कड़वाहट आना।
- सगे सम्बन्धियो तथा भाईयो से विवाद रहता है।
- जिस किसी भी जातक या व्यक्ति की कुंडली मे मंगल दोष होता है, वह अत्यधिक आक्रामक, क्रोधी और अभिमानी होता है।
- मंगल दोष होने से व्यक्ति का स्वभाव गुस्सैल, क्रोधिक और अहंकारी हो जाता है।
मंगल दोष के नुकसान क्या है?
मंगल अशुभ हो तो व्यक्ति को जीवन मे निम्नलिखित समस्याओ का सामना करना पड़ता है।
- मंगल दोष के कारण व्यापार मे घाटा होने की संभावना बनी रहती है।
- कुंडली में मंगल दोष हो तो शादी विवाह में अड़चन शुरू हो जाती है।
- मंगल नीच का हो तो धन की हानि और दुर्घटनाएं शुरू हो जाती है।
- मंगल दोष वैवाहिक जीवन मे संघर्ष और दुर्व्यवहार को उत्प्रेरक कर सकता है।
- कुंडली के द्वादश भाव में मंगल दोष होने से शारीरिक क्षमताओं में कमी आ जाती है।
- मंगल दोष क्षीण आयु, रोग द्वेष और कलह-क्लेश को जन्म देता है।
- कुंडली में मंगल दोष के होने के कारण विवाह में कई तरह की परेशानियां आती है, जैसे विवाह में देरी होना, किसी कारण रिश्ता टूट जाना या विवाह के बाद जीवनसाथी के साथ अच्छा तालमेल न बैठना।
मंगल दोष निवारण के सरल उपाय क्या है?
- कुंडली में मंगल को बली बनाने के लिए ॐ भौमाय नम: और ॐ अं अंगारकाय नम: मंत्र का जाप करना चाहिए।
- प्रत्येक मंगलवार का व्रत रखे, व हनुमान मंदिर में बूंदी का प्रसाद बांटें।
- मंगलवार के दिन लाल कपड़े धारण करें और हनुमान चालीसा या सुंदरकांड का पाठ करें।
- हनुमान मंदिर में लाल सिंदूर चढ़ाएं और जरूरतमंद लोगों को लाल मसूर अथवा लाल वस्त्र दान करें।
- कुंडली से मंगल दोष के प्रभाव को कम करने के लिए लाल मसूर की दाल, लाल वस्त्र, लाल गुलाल, दूध, दही, घी, शक्कर, शहद से भगवान शिव की पूजा करनी चाहिए।
मंगल दोष से छुटकारा कैसे पाएँ?
यदि आप भी अपने जीवन मे मंगल दोष के चलते हुए कई सारी परेशानियों का सामना कर रहे है और आप भी मंगल दोष से हमेशा के लिए छुटकारा पाना चाहते है, तो मंगल दोष से मुक्ति का एकमात्र उपाय है, मंगल दोष निवारण पूजा। यदि आप यह पूजा कराते है, तो आप मंगल दोष और इसके दुष्प्रभाव से सदैव के लिए मुक्त हो जायेंगे।
मंगल दोष पूजा मंगलनाथ मंदिर मे ही क्यो की जाती है?
मंगल दोष निवारण के लिए सबसे उचित स्थान उज्जैन मे स्थित मंगलनाथ मंदिर को माना गया है। यह मंदिर उस स्थान पर स्थित है, जहां कभी पृथ्वी का मध्यान कहा गया था। इसलिए यह स्थान ग्रहों की स्थिति के अध्ययन के लिए प्रसिद्ध और उपयुक्त माना जाता है।
मंगलनाथ मंदिर, मध्य प्रदेश की दिव्य नगरी उज्जैन में स्थित है। मत्स्य पुराण के अनुसार मंगलनाथ परिसर को मंगल का जन्म स्थान माना गया है। प्रभु मंगल के इष्टदेव भगवान शिव हैं। यह परिसर अपने दैवीय गुणों के कारण अत्यंत प्रसिद्ध है। यहा पर पूजा सम्पूर्ण करने के बाद आप इस दोष से हमेशा के लिए छुटकारा पा सकते है।
मंगल दोष पूजा उज्जैन मे कैसे कराएं?
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